Monday, October 20, 2025
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Jaya Ekadashi 2023: जया एकादशी क्यों मानी जाती है मुक्ति का द्वार,पिशाच योनि से मिलेगी मुक्ति, जानें महत्त्व

हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसी कड़ी में माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी बस आने को ही है। माघ महीने में पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को मुक्ति का द्वार भी कहा जाता है। 

माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं, जो सभी पापों को हरने वाली सबसे उत्तम और पुण्यदायी एकादशी मानी गई है। इस साल Jaya Ekadashi 2023, बुधवार 01 फरवरी को सुबह से लेकर शाम 08:30 बजे तक रहेगाी। जया एकादशी के दिन सर्वेश्वर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। जया एकादशी व्रत करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।

माना जाता है जया एकादशी का व्रत और भगवान श्री विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्रती को भूत, प्रेत, पिशाच जैसी योनियों में नहीं भटकना पड़ता। ऐसा माना जाता है कि जया एकादशी का व्रत करने से मनुष्यों को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। 
जो लोग इस एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं वह लोग आज के दिन ‘विष्णुसहस्रनाम’ का पाठ कर सकते हैं और जरुरतमंदों की सहायता करके पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं।

जया एकादशी व्रत विधि

    • 1. एकादशी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
    • 2. व्रत का संकल्प लें और फिर विष्णु जी की पूजा करें।
    • 3. भगवान विष्ण़ु को पीले फूल अर्पित करें।
    • 4.इस दिन भगवान विष्णु के सामने घी में हल्दी मिलाकर दीपक करें।
    • 5.दूध और केसर से बनी मिठाई का भोग लगाएं
    • 6.एकादशी के दिन शाम को  तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं
    • 7.भगवान विष्णु को केले चढ़ाएं और गरीबों को भी केले बांट दें।

    जया एकादशी व्रत कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, इन्द्र की सभा में एक गंधर्व गीत गा रहा था। परन्तु उसका मन अपनी प्रिया को याद करने लगा। इस कारण से गाते समय उसकी लय बिगड़ गई। इस पर इन्द्र ने क्रोधित होकर गंधर्व और उसकी पत्नी को पिशाच योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। पिशाच योनी में जन्म लेकर पति पत्नी कष्ट भोग रहे थे। संयोगवश माघ शुक्ल एकादशी के दिन दुःखों से व्याकुल होकर इन दोनों ने कुछ भी नहीं खाया और रात में ठंड की वजह से सो भी नहीं पाये। इस तरह अनजाने में उनसे जया एकादशी का व्रत हो गया। इस व्रत के प्रभाव से दोनों श्राप मुक्त हो गए और पुनः गंधर्व योनि में लौटकर स्वर्ग पहुंच गये। देवराज इन्द्र ने जब गंधर्व को वापस इनके वास्तविक स्वरूप में देखा तो वे हैरान हुए। गन्धर्व और उनकी पत्नी ने बताया कि उनसे अनजाने में जया एकादशी का व्रत हो गया। इस व्रत के पुण्य से ही उन्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिली है।

     जया एकादशी का महत्व (Jaya Ekadashi Ka Mahatva) 

    जया एकादशी को मुक्ति का द्वार कहा जाता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति जया एकादशी का व्रत रखता है उसे मृत्यु के पश्चात पिशाच योनी से मुक्ति मिल जाती है और यहां तक कि उस पर आजीवन मां लक्ष्मी की कृपा बरसती रहती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी उस व्यक्ति को प्राप्त होता है। उस व्यक्ति के सभी कष्ट मिट जाते हैं और उसे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

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