Monday, October 20, 2025
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पंजाब के पांच बड़े चेहरों की कहानी: राजनीति से पहले क्या करते थे चन्नी, अमरिंदर कैसे बने सीएम, भगवंत मान, सिद्धू और बादल का क्या है इतिहास

चरणजीत सिंह चन्नी : राजनीति में आने से पहले पिता के टेंट हाउस में मदद करते थे

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का जन्म दो अप्रैल 1972 को चमकौर साहिब के पास मकरोना कलां गांव में हुआ था। चरणजीत ने प्राथमिक शिक्षा सरकारी प्राथमिक स्कूल से प्राप्त की। चन्नी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पिता एस हरसा सिंह और माता अजमेर कौर ने काफी संघर्ष किया। घर की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए वह मलेशिया भी गए। बाद में वापस आकर यहां खरड़ शहर में एक टेंट हाउस का व्यवसाय शुरू किया। कॉलेज के समय चन्नी अपने पिता के टेंट हाउस में उनकी मदद करते थे। स्नातक के बाद एक पेट्रोल पंप भी खोला।
• खरड़ नगर परिषद के पार्षद चुनाव में जीत के साथ चन्नी ने राजनीति में कदम रखा। नगर परिषद के प्रधान भी बने।
• 2007 में चमकौर साहिब विधानसभा सीट से कांग्रेस से टिकट की दावेदारी की लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। टिकट न मिलने पर चरणजीत सिंह चन्नी चमकौर साहिब से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत भी गए। 2012 और 2017 में कांग्रेस के टिकट पर जीते। 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री बने।

कैप्टन अमरिंदर सिंह : सेना छोड़कर सियासत में आए, सिद्धू के पिता से राजनीति सीखी

  1. पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का जन्म 11 मार्च 1942 को पटियाला के राजपरिवार में हुआ था। अमरिंदर और राजीव गांधी ने एक साथ पढ़ाई की थी। 1963 में उन्होंने सेना जॉइन की, 1965 में इस्तीफा दे दिया, लेकिन पाकिस्तान से युद्ध शुरू होने पर फिर सेना से जुड़ गए। युद्ध समाप्त होने के बाद उन्होंने फिर से सेना छोड़ दी। तब नवजोत सिंह सिद्धू के पिता भगवंत सिंह सिद्धू उन्हें राजनीति में लेकर आए। अमरिंदर की मां मोहिंदर कौर भी सक्रिय राजनीति में रहीं। अमरिंदर की पत्नी परणीत कौर मनमोहन सिंह की सरकार में विदेश राज्यमंत्री रहीं।
  2. • 1980 में कैप्टन कांग्रेस से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 1984 में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के विरोध में कांग्रेस और लोकसभा से इस्तीफा दे दिया।
    • अगस्त 1985 में अकाली दल में शामिल हो गए। सुरजीत सिंह बरनाला की सरकार में कृषि मंत्री रहे।
    • 1997 में फिर कांग्रेस में आ गए। 1999 से 2002 तक कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
    • 2002 से 2007 तक पहली बार और फिर 2017 से 2021 तक दूसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे।
    • कैप्टन ने युद्ध और सिख इतिहास पर किताबें भी लिखी हैं।
    • उन्होंने ए रिज टू फार, लेस्ट वी फॉरगेट, द लास्ट सनसेट: राइज एंड फॉल ऑफ लाहौर दरबार और द सिख इन ब्रिटेन: 150 ईयर्स ऑफ फोटोग्राफ्स लिखी हैं।
  3. भगवंत मान सिंह: कमेडियन से नेता बने मान

48 साल के सांसद भगवंत मान आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं। मान का जन्म 17 अक्टूबर 1973 को पंजाब के संगरूर जिले के सतोज गांव में हुआ था। पिता मोहिंदर सिंह और मां का नाम हरपाल कौर है। मान ने पंजाब के संगरूर जिले के एस.यू.एस. सरकारी कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई बीच में छोड़ दी। वह एक प्रसिद्ध पंजाबी कॉमेडियन भी रह चुके हैं। उन्होंने मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा के साथ द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज नाम के टीवी शो में भी भाग लिया था। उनकी शादी इंद्रप्रीत कौर से शादी हुई। सांसद बनने के एक साल बाद ही उनकी पत्नी अलग हो गईं। दोनों के दो बच्चे भी हैं, जो मां के साथ रहते हैं।

मान ने 2012 से अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत मनप्रीत सिंह बादल की पंजाब पीपल्स पार्टी से की थी। वह विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। चुनाव हारने के बाद वे आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए और 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव जीते।

नवजोत सिंह सिद्धू : क्रिकेटर से पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष तक का सफर

  1. पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म 20 अक्टूबर 1963 को हुआ। सिद्धू मशहूर क्रिकेटर और कमेंटेटर रहे हैं। उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैच 1983 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। नवजोत सिंह सिद्धू गैर इरादतन हत्या के एक मामले में जेल जा चुके हैं। मामला 1988 का है। तब उन्हें गुरनाम सिंह नाम के एक शख्स की हत्या के मामले में सह आरोपी बनाया गया था। इस मामले में सिद्धू को जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। नवजोत सिंह सिद्धू के पिता भगवंत सिंह सिद्धू पटियाला के भादसों सीट से 1956-57 में विधायक थे। इसके बाद वह एमएलसी भी बने।
    • सिद्धू ने 2004 में राजनीति में कदम रखा। भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े और जीते।
    • 2006 में लोकसभा से इस्तीफा दिया, 2007 के उप-चुनाव में फिर जीत गए। 2009 में तीसरी बार लोकसभा सांसद बने।
    • 2014 में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। बाद में राज्यसभा भेजा। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गए।
    • अमृतसर पूर्व सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे और कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में सांस्कृतिक मामले और संग्रहालय मंत्री रहे।
  2. सुखबीर सिंह बादल : अमेरिका से पढ़ाई की, पंजाब में पिता की राजनीतिक विरासत को संभाला

सुखबीर सिंह बादल

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का जन्म नौ जुलाई 1962 को पंजाब के फरीदकोट में हुआ था। पिता प्रकाश सिंह बादल पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। सुखबीर सिंह ने पंजाब के लॉरेंस स्कूल से स्कूलिंग की। इसके बाद 1980-1984 तक पंजाब यूनिवर्सिटी से स्नातक किया। बाद में उन्होंने कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई की।
• बादल 1996 में राजनीति में आए और लोकसभा का चुनाव लड़ा। फरीदकोट से सांसद चुने गए।
• 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उद्योग राज्य मंत्री बने। 2001 में राज्यसभा सांसद बने।
• 2004 में फरीदकोट से फिर सांसद चुने गए। 2009 में जलालाबाद विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीतने के बाद पंजाब के उप-मुख्यमंत्री बनाए गए।
• 2017 में भी सुखबीर सिंह ने चुनाव लड़ा और आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान सिंह को हराया।
• सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल सांसद हैं और मोदी सरकार में वह खाद्य और प्रसंस्करण मंत्रालय की मंत्री भी रह चुकी हैं।

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