Tuesday, October 21, 2025
HomeUncategorizedMagh Mela 2023 :- प्रयागराज में आज से माघ मेले की शुरुआत,...

Magh Mela 2023 :- प्रयागराज में आज से माघ मेले की शुरुआत, जानें महत्त्व

प्रयागराज में 6 जनवरी 2023 यानी आज से माघ पूर्णिमा के स्नान के साथ माघ मेले की शुरुआत हो चुकी है. इस मेले का समापन 18 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि पर होगा. माघ मेले में गंगा-यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर डेढ़ माह तक आस्था की डुबकी लगाई जाएगी.

प्रयागराज में होने वाले माघ मेले को अर्ध कुंभ मेला भी कहा जाता है. इसमें कल्पवासी 45 दिन तक  संगम किनारे ही रहते हैं. मान्यता है कि इस दौरान खास तिथियों पर स्नान गंगा में स्नान करने से व्यक्ति पाप मुक्त हो जाता है.

माघ मेले 2023 का महत्व

हर साल प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले को ‘मिनी कुंभ’ भी कहा जाता है. मान्यता है कि माघ मेले के 45 दिन सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, और कलयुग के कुल वर्षों की संख्या के बराबर होते हैं यही वजह है कि इसमें किए गए स्नान-दान, तप, जप से चारों युगों के पुण्य फल प्राप्त होते हैं.

माघ मेले में कल्पवास के नियम

  • माघ के मेले में कल्पवासियों को संगम तट पर कुटिया बनाकर रहना होता है.
  • इस अवधि में जमीन पर सोना होता है और पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है.
  • कल्पवास में फलाहार एक समय का आहार या निराहार रहने का प्रावधान है. इस दौरान भोजन स्वंय बनाना होता है.
  • कल्पवासियों को दिन में तीन बार स्नान और पूजन करना होता है. साथ ही अपना सारा समय प्रभू की भक्ति में लीन रहना चाहिए.
  • कल्पवास की शुरुआत के पहले दिन तुलसी और शालिग्राम की स्थापना और पूजन होती है. कल्पवासी अपने टेंट के बाहर जौ का बीज रोपित करता है. इसकी समाप्ति पर पौधे को वह अपने साथ ले जाते हैं और तुलसी को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है.
  • कहते हैं कि कल्पवास की शुरुआत करने के बाद इसे 12 सालों तक जारी रखने की परंपरा है. 
  • शास्त्र कहता है कि उन्हीं गृहस्थ जीवन वालों को कल्पवास करना चाहिए जो सांसारिक मोह माया से मुक्त हो और जिसके ऊपर जिम्मेदारियों को बोझ न हो, क्योंकि इसमें त्याग को महत्वपूर्ण माना गया है तभी व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
  • कल्पवासी के चार मुख्य कार्य होते हैं स्नान, तप, हवन और दान.
  • माघ मेले में कल्पवास का लाभ
  • मान्यता है कि नियमपूर्वक कल्पवास करने वाला व्यक्ति हर मुसीबत का समाधान खोजने में सक्षम हो जाता है. कल्पवास से साधक को मन और इंद्रियों पर नियंत्रण करने की शक्ति प्राप्त होती है. इससे व्यक्ति के सारे सांसारिक तनाव दूर हो जाते हैं और वह मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त होता है. मत्स्य पुराण के अनुसार, जो भी व्यक्ति कल्पवास की प्रतिज्ञा करता है। वह अगले जन्म में एक राजा के तौर में जन्म लेता है।
RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments