जोशीमठ इस समय में बड़े संकट का सामना कर रहा है। भू-धंसाव से लगातार घरों में दरारें पड़ रही है। इस बीच जोशमीठ में प्रशासन के साथ स्थानीय लोगों की मुआवजे को लेकर चल रही बैठक में बात नहीं बनी। प्रशासन की ओर से प्रभावितों परिवारों को डेढ़ लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की बात कही गई, लेकिन प्रभावितों ने इससे इनकार कर दिया।

टिहरी की तर्ज पर न्यू जोशीमठ बनाने पर विचार
टिहरी की तर्ज पर न्यू जोशीमठ बनाने पर सरकार विचार कर रही है, लेकिन स्थानीय लोग इसके लिए तैयार नहीं हैं। वे जोशीमठ में ही रहना चाहते हैं। हालांकि सरकार ने जोशीमठ की आबादी को शिफ्ट करने के लिए तीन स्थानों का चयन किया है। इसमें एक जोशीमठ में जेपी कालोनी के पास उद्यान विभाग की जमीन है। दूसरा पीपलकोटी और तीसरा गौचर के पास जमीन पर लोगों को शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है।

जोशीमठ में दरार के बाद कई घरों को तोड़ा जाना है. इनमें कुछ होटल भी शामिल हैं. घरों और होटलों को तोड़े जाने के लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है. विरोध के चलते मंगलवार (10 जनवरी) की रात ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने पहुंची टीम को वापस लौटना पड़ा. इसके बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमें स्थानीय लोगों के साथ ही जिला प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद रहे.
मीनाक्षी सुंदरम ने बताया “डेढ़ लाख प्रति परिवार को अंतरिम राहत के रूप में दिए जाने का निर्णय हुआ है. इसमें पचास हज़ार शिफ़्टिंग का खर्च है और एक लाख मुआवज़ा एडवांस है. कुछ लोग जोशीमठ से दूर नहीं जाना चाहते हैं. होटल वाले पीपलकोटी जाना चाहते हैं. लोगों की मांग है कि न्यू टिहरी की तरह न्यू जोशीमठ बनाया जाए.”