Monday, October 20, 2025
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25 जनवरी या 26? कब है बसंत पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का बहुत महत्व है. पंचांग के अनुसार, हर साल बसंत पचंमी या सरस्वती पूजा माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल बसंत पंचमी 26 जनवरी को पड़ रही है.लोगों में इस बात को लेकर कंफ्यूजन है कि बसंत पंचमी (Saraswati Puja Date) 25 जनवरी या 26 जनवरी किस दिन मनाई जायेगी.

मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि पर मां सरस्वती की उपत्ति भी हुई थी. विशेषकर छात्रों, कला, संगीत आदि क्षेत्र से जुड़े लोग इस दिन को खासतौर पर मनाते हैं. इस दिन ज्ञान की देवी को पीले रंग की चीजों का भोग लगाया जाता है. इतना ही नहीं इस दिन पीले रंग के कपड़े भी पहने जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन पूजा-आराधना करने से माता सरस्वती शीघ्र प्रसन्न होती हैं और ज्ञान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन हर साल बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन देवी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सरस्वती प्रकट हुई थीं। इस दिन को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 26 जनवरी, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।

पंचमी आरंभ: 25 जनवरी 2023, दोपहर 12:34 से
पंचमी समाप्त- 26 जनवरी 2023, सुबह 10:28 तक

उदयातिथि के अनुसार, बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को मान्य होगी.
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त– 26 जनवरी 2023, सुबह 07:12 से दोपहर 12:34 तक.

बसंत पंचमी को श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सरस्वती मां की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है इसलिए इस पर्व का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा करने और उन्हें पीले फूल चढ़ाने का विधान है। यही नहीं इस दिन यदि आप पीले वस्त्रों में माता का पूजन करते हैं और भोग में पीली खाद्य सामग्री चढ़ाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

सरस्वती पूजा का महत्व

बसंत पंचमी को श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सरस्वती मां की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है इसलिए इस पर्व का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा करने और उन्हें पीले फूल चढ़ाने का विधान है।

बसंत पंचमी के दिन कोई भी शुभ काम करने के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है। इस दिन शादी विवाह (शादी विवाह मुहूर्त 2023) जैसे कार्यक्रम भी बिना मुहूर्त के संपन्न हो सकते हैं।  इस दिन को शुभ और मांगलिक कार्य करने के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

सरस्वती पूजा की विधि

  • वसंत पंचमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ़ वस्त्र धारण करें। यदि संभव हो तो पीले वस्त्र पहनें।  
  • एक साफ़ चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर माता स्वरस्वती की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। 
  • माता की तस्वीर या मूर्ति को गंगाजल (गंगाजल के उपाय ) से स्नान कराएं और उन्हें साफ़ पीले रंग के वस्त्रों से सुसज्जित करें। 
  • माता को पीले फूल, अक्षत्, हल्दी , पीला गुलाल, धूप, दीप, आदि अर्पित करें।  माता को पीले फूलों की माला से सजाएं। 
  • मां सरस्वती को हल्दी का तिलक लगाएं और उनका पूजन करें। 
  • सरस्वती जी की आरती करें और भोग में पीले सामग्री जैसे पीले चावल, बेसन के लड्डू, पीली मिठाई आदि अर्पित करें। 
  • इस दिन आप पूजन के पश्चात हवन भी कर सकते हैं और हवन के बाद प्रसाद का वितरण करें। 
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